धोनी के टैलेंट को पहचान दिलाने वाले प्रकाश पोद्दार का निधन, माही की रिपोर्ट में लिखी थी खास बात

बंगाल के पूर्व बल्लेबाज और भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के कौशल परख (टैलेंट स्पॉटर) करने वाले प्रकाश पोद्दार का निधन हो गया. पोद्दार ने ही बीसीसीआई को महेंद्र सिंह धोनी का नाम विकेटकीपर बल्लेबाज के लिए सुझाया था. बंगाल क्रिकेट संघ के सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि पोद्दार का हैदराबाद में निधन हो गया. वह 82 साल के थे. पोद्दार ने घरेलू क्रिकेट में बंगाल और राजस्थान दोनों का प्रतिनिधित्व किया था. वह हैदराबाद में रहते थे, जहां उन्होंने 29 दिसंबर को अंतिम सांस ली.
वह 1960 के दशक के एक बेहतरीन बल्लेबाज थे, जिन्होंने 1962 में इंग्लैंड के खिलाफ एक घरेलू सीरीज के लिए भारतीय टेस्ट टीम में जगह बनाई थी. उनके नाम 40 से कुछ कम की औसत से 11 प्रथम श्रेणी शतक थे. पोद्दार और बंगाल के उनके पूर्व साथी राजू मुखर्जी ने बीसीसीआई के टैलेंट एंड रिसर्च डेवलपमेंट विंग (TRDS) के पूर्व प्रमुख दिलीप वेंगसरकर को महेंद्र सिंह धोनी के नाम की सिफारिश करने में अहम भूमिका निभाई थी.
प्रकाश पोद्दार ने देखी थी धोनी के बड़े शॉट खेलने की क्षमता: टीआरडीओ की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाने वाले अनुभवी खेल पत्रकार मकरंद वयंगंकर ने बताया, ”पीसी दा (उन्हें प्यार से इसी नाम से बुलाया जाता था) और राजू (मुखर्जी) टीआरडीओ (टैलेंट एंड रिसर्च डेवलपमेंट ऑफिसर) थे और धोनी उस समय जमशेदपुर में एक रणजी वनडे में बिहार (झारखंड को बीसीसीआई का दर्जा मिलने से पहले) के लिए खेल रहे थे. दोनों ने उनके बड़े शॉट खेलने की क्षमता देखी और दिलीप को उनके नाम की सिफारिश की.”
धोनी की बायोपिक में भी है प्रकाश पोद्दार का जिक्र: वयंगंकर ने बताया, ”पीसी दा को लगा कि इस तरह के जबरदस्त ‘हैंड-आई कोऑर्डिनेशन’ वाला खिलाड़ी बस पूर्वी क्षेत्र में खेलता रह जाएगा और बीसीसीआई को उसे निखारने और तैयार करने की जरूरत है. बाकी बातें अब इतिहास का हिस्सा है.” ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ फिल्म में राष्ट्रीय चयनकर्ता किरण मोरे को प्रकाश नाम के एक व्यक्ति से बात करते हुए देखा गया था, जो उन्हें छक्के मारने के लिए पहचाने जाने वाले युवक के बारे में बता रहा था..
रिपोर्ट में धोनी के बारे में कही थी ये बातें: पोद्दार ने धोनी के बारे में रिपोर्ट में कहा था, ”मुझे लगा कि जिस तरह से उन्होंने अपनी ताकत का इस्तेमाल किया, अगर हम उसे नियमित कर सकें तो भारतीय क्रिकेट में फायदा ही होगा और इसीलिए मैंने राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में उनकी सिफारिश की थी. उन्होंने 35 रन बनाए, लेकिन उस उम्र में भी क्या मारता था बॉल को. उसके पास ताकत थी और मुझे लगा कि अगर हम उसे अच्छी तरह से मार्गदर्शन कर सकते हैं, तो वह एक अच्छा वनडे क्रिकेटर बन सकता है. उसे विकेटकीपिंग पर काम करने की जरूरत है. तकनीकी रूप से बहुत अच्छा नहीं है, लेकिन विकेटों के बीच दौड़ने में बेहतरीन है.”